सांभर झील के कुशल प्रबंधन के लिए समर्पित राज्य सरकार की ओर से सांभर झील प्रबंधन एजेंसी के गठन को मंजूरी दी गई है। इस मंजूरी पर वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री श्री सुखराम बिश्नोई ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए प्रसन्नता जताई है।
उल्लेखनीय है कि जयपुर, अजमेर और नागौर जिलों में फैली सांभर झील अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त रामसर साइट है। यह झील भारत की दूसरी और राज्य की सबसे बड़ी खारे पानी की झील तथा एशिया का सबसे बड़ा अंतर स्थलीय नमक उत्पादन केंद्र है। पर्यटन की दृष्टि से भी इसका विशेष महत्व है। झील के संरक्षण और विकास के लिए वर्तमान में सभी विभागों के कार्यों के संबंध में प्रबोधन और नियंत्रण हेतु कोई प्रशासनिक ढांचा नहीं है। सांभर झील के प्रबंधन को सुदृढ़ और परिणाम केंद्रित करने के लिए पर्यावरण विभाग के प्रस्ताव पर सांभर झील प्रबंधन हेतु गठित स्टैडिंग कमेटी के अनुमोदन उपरांत मुख्यमंत्री द्वारा शुक्रवार को सांभर झील की सुरक्षा, संरक्षण और सर्वांगीण विकास के लिए सांभर लेक मैनेजमेंट एजेंसी के गठन की अनुमति प्रदान की गई।
वन एवं पर्यावरण मंत्री और मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सांभर लेक मैनेजमेंट एजेंसी का गठन होगा। एजेंसी में खान, भू-जल एवं अभियांत्रिकी विभाग, वन एवं पर्यावरण, राजस्व, ऊर्जा विभाग, स्वायत्त शासन विभाग, मत्स्य एवं पशुपालन विभाग, उद्योग विभाग, वित्त विभाग, पंचायती राज विभाग, जल संसाधन विभाग, कृषि विभाग, पर्यटन विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग और नगरीय विकास विभाग के इंचार्ज सचिव होंगे।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक, आरएजेयूवीएएस के निदेशक, सॉल्ट कमिश्नर निदेशक, जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, जयपुर अजमेर नागौर के जिला कलेक्टर सदस्य सचिव होंगे। इसी तरह राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल, राज्य जैव विविधता बोर्ड और सांभर साल्ट लिमिटेड के मुख्य प्रबंधक सदस्य होंगे।
मैनेजमेंट एजेंसी सांभर झील क्षेत्र की सुरक्षा, संरक्षण और विकास के लिए कार्य करेगी। एजेंसी के अधीन क्षेत्र के भू-प्रबंध, अतिक्रमण हटाने, अवैध बिजली कनेक्शन हटाने, वन एवं वन्य जीव सुरक्षा एवं संरक्षण, मत्स्य एवं पशुपालन के नियंत्रण, पर्यटन के नियंत्रण, अपशिष्ट से बचाव, पानी गुणवत्ता की निगरानी एवं औद्योगिक विकास के नियंत्रण इत्यादि के लिए अलग से इकाइयां बनाई जाएंगी।
मुख्यमंत्री की ओर से दी गई इस मंजूरी पर वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री श्री सुखराम विश्नोई ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री का आभार जताया है। वन मंत्री श्री विश्नोई ने कहा है कि मुख्यमंत्री की ओर से यह मंजूरी देने के पश्चात जल्द ही इस दिशा में काम शुरू किया जाएगी। 2 से 8 अक्टूबर तक जारी वन्य जीव सप्ताह के दौरान मिली यह मंजूरी इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इस साल के वन्य जीव सप्ताह की थीम भी रामसर साइट्स रखी गई। वर्तमान में राजस्थान में सांभर और भरतपुर के रूप में दो रामसर साइट्स चिन्हित हैं। राजस्थान के लिए यह इसलिए भी बड़ी उपलब्धि है क्योंकि चिल्का, ईकेडब्ल्यू और लोकटक के बाद यह देश में चौथी ऎसी झील प्रबंधन एजेंसी होगी।
(Source: Press release by Forest and Environment Department, Rajasthan Government)